तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में महिला चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की वीभत्स वारदात पर देशभर में उबाल अभी थमा नहीं है। सड़क से संसद तक इस मुद्दे खासा हंगामा हो चुका है। विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक एवं व्यापारिक संगठनों अलावा आमजन की तरफ से तीखी प्रक्रिया सामने आ चुकी है। महिला चिकित्सक के संदीप सिंघल हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी के फंदे पर कार्यकारी संपादक लटकाने की मांग पुरजोर तरीके से उठ रही है। मृतका को न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त मुहिम रही है। इसके इतर हर किसी को इस प्रकरण में एक बात जरूर अखर है, वह यह कि अब तक राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्टरों के किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी संगठन ने यह मसला नहीं उठाया है। चिकित्सक वर्ग के नुमाइंदों की खामोशी समझ से परे है। डॉक्टरों से जुड़े मसलों को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मंच से समय-समय पर जोर-शोर से उठाया जाता रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों में अलग-अलग मुद्दों डॉक्टरों के आक्रामक तेवर जब-तब देखने को मिलते रहे हैं, मगर हैदराबाद कांड में डॉक्टरों की चुप्पी पर सवाल उठना लाजमी बात है। गाजियाबाद शहर में प्राईवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन ने जरूर जिला मुख्यालय के बाहर इस प्रकरण में विरोध-प्रदर्शन कर रस्म अदायगी दी थी। अच्छा होता कि चिकित्सक वर्ग इस हृदय विदारक घटना के खिलाफ भी एकजुट होकर देशव्यापी आंदोलन छेड़ता। समाज में इसका अच्छा संदेश जाता, मगर अफसोस ऐसा नहीं हो सका है। अलबत्ता चिकित्सकों के हित की नुमाइंदगी का दावा करने वालों पर सवाल उठना स्वभाविक बात है। महिला पशु चिकित्सक के हत्यारों को उनके किए की सजा दिलाने में जितनी देरी होगी, जनाक्रोश उतना बढ़ता रहेगा। देश एवं समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर भी सवाल उठते रहेंगे।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिलाओं के लिए लिया बड़ा फैशला।